ये पर्व – जो धनतेरस ही ;
लाए खुशिया अपार अभी –
कभी रोशनी – कभी दिए ही !!
जगमगाए – इस पार – उस पार भी !!
सोने – चाँदी से रोशन हो घर कभी ;
और कभी बरतनों की खनक यहीं :
कभी धन्वन्तरि के आगमन से ये घर ;
स्वस्थ – सम्पूर्ण – ऐश्वर्य – वैभव – हर नारी – नर !!
हे धन्वन्तरि ईश्वर ; तेरा आगमन हो यहाँ थमे –
तू आए तो खुशिया भाए, हमेशा हमे ;
शुभ दीपावली आई अभी ;
खुशिया और रोशनी सदा अपार छाए यहीं ।
-प्रोमिला देवी सुदर्शन हुईद्रॐ